वक्त कहीं टिक कर नहीं रहता। वक्त की आदत भी आदमी की तरह हैं।

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एक साल गया, एक साल नया है आने को। पर वक्त का अब भी होश नहीं दीवाने को।।

अगर फुर्सत मिले पानी की लहरों को पढ़ लेना। हर एक दरिया हज़ारों साल का अफसाना लिखता है।।

ना हँसना किसी के बुरे वक्त पे दोस्तों, ये वक्त है जनाब चेहरे याद रखता है।।

उलझ गया था तुम्हारे दुपट्टे का कोना मेरी घड़ी से।। वक्त तब से जो रुका है तो अब तक रुका ही पड़ा है।।

कभी वक्त निकाल के हमसे बातें करके देखना।। हम भी बहुत जल्दी बातों मे आ जाते है।।

वक्त इशारा देता रहा और हम इत्तेफाक समझते रहे, बस यूँही धोके खाते रहे, और इस्तेमाल होते रहे।।

कुछ इस कदर खोये हैं  तेरे ख्यालो में, कोई वक्त भी पूछता है  तो तेरा नाम बता देते हैं।।

कौन डूबेगा किसे पार उतरना है। फैसला वक्त के दरिया में उतर कर होगा।।

हर वक्त दिल को जो सताए ऐसी कमी है तू, मैं भी ना जानू की इतनी क्यूँ लाजमी है तू।।

वक्त बर्बाद करने वालों को, वक्त बर्बाद कर के छोड़ेगा।।

चेहरा ओ नाम एक साथ आज न याद आ सके, वक्त ने किस शबीह को ख्वाब ओ ख्याल कर दिया।।