असली खगोलशास्त्री तो परिवार में ही होते हैं… एक मां - जो बचपन में चांद दिखाती थी। दूसरे पापा - जो एक ही थप्पड़ में सारा ब्रह्माण्ड दिखा देते थे। और तीसरी पत्नी - जो दिन में तारे दिखाती है। ये नासा वासा तो सब भ्रम है !!
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पप्पू : मां सारे खिलौने बेड के नीचे छिपा दो… पप्पू की मां : क्यों..? पप्पू : क्योंकि मेरा दोस्त डब्बू आ रहा है.. पप्पू की मां : डब्बू खिलौने चुरा लेगा क्या…? पप्पू : नहीं, वह अपने खिलौने पहचान लेगा..
पापा एक दिन क्या आपके नाम कर दूं, कह दो एक बार अपनी जान आपके नाम करदूं आपनें ही तो इन सासां को जिन्दगी दी है आप के होने से ही मेरी पहचान बनी है!!
रास्ते में नवविवाहिता पत्नी के साथ चलते हुए पति को मजाक सूझा, सड़क किनारे खड़े गधे की इशारा करके बोला : अरे तुम्हारा रिश्तेदार है, अभिवादन तो कर लो। पत्नी फौरन सिर पर पल्लू डालकर बोली : प्रणाम ससुर जी
पति : आजकल तुम न सिगरेट पीने से रोकती हो, न शराब पीने से, सब शिकायतें खत्म सी हो गई क्या? पत्नी : जब फायदा दिख रहा हो तो शिकायतें बंद हो जाती हैं। पति : फायदा, क्या फायदा? पत्नी : वो एलआईसी वाला आया था। बता रहा था कि मुझे क्या-क्या फायदा होगा।
एक बार संता ने अपने बेटे की शादी की. बहू विदाई के बाद घर आ गई तब संता की पत्नी (सास) ने कहा- बेटी आज से मुझे मां और अपने ससुर को पापा कहना…. शाम को संता का बेटा (पति) के आने पर पत्नी बोली, मां भैया आ गए
ऊँगली पकड़ कर मुझको चलना सिखाया, मेरे आँसू पोछ मुझको हसाया, एक फरिश्ता है पिता जिसे खुद खुदा ने बनाया,
पति : अरे सुनो, मुन्ना रो रहा है चुप कराओ इसे, पत्नी (गुस्से में) : मैं काम करूं या बच्चे संभालू, मैं इसे दहेज में नहीं लाई थी, खुद ही चुप करा लो, पति : फिर रोने दे… मैं कौन सा इसे बारात में लेकर गया था
शादीशुदा महिला - पंडितजी, मेरे पति हमेशा मुझसे लड़ते रहते हैं, घर की सुख - शांति के लिए कौन-सा व्रत रखूं? पंडितजी - मौन व्रत रखो बेटा, सब बढ़िया होगा
“धरती सा धीरज दिया और आसमान सी उंचाई है जिन्दगी को तरस के खुदा ने ये तस्वीर बनाई है हर दुख वो बच्चों का खुद पे वो सह लेतें है उस खुदा की जीवित प्रतिमा को हम पिता कहते है”
मेरी रब से एक गुज़ारिश है, छोटी सी लगानी एक सिफारिश है, रहे जीवन भर खुश मेरे पापा बस इतनी सी मेरी ख्वाहिश है,