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भाई : बहन पानी दे दो। बहन : खुद से ले ले। भाई : दे दो ना बहन। बहन : फिर से मांगा तो थप्पड़ पड़ेगा। भाई : जब थप्पड़ मारने आओगी तो पानी ले आना बहन।
भाई – चल जल्दी से चाय बना। बहन – नहीं बनाऊँगी तुझ से पिछले महीने के 12 तारीख को सुबह 8 बजे एक गिलास पानी माँगी थी। तूने लाकर दिया था क्या?
जली को आग कहते हैं, बुझी को राख कहते हैं।। ओर जो कभी काम ना करें, उसे मेरे भैया का दिमाक कहते हैं।।
राखी का त्यौहार राखी बधवाने को भाई तैयार, भाई बोला – बहना अब तो राखी बाध दो। बहना बोली – कलाई पीछे करो पहले निकालो पाँच हजार।।
माना बहना तेरी मेरी बनती नहीं। पर तेरे बिना मेरी चलती भी नहीं।।
वो मेरे बाल खराब करती हैं। वो मुझे परेशान करती हैं।। मगर मम्मी पापा के ना होने पर। ख्याल भी बहुत रखती हैं।।
ओस की बूदों से प्यारी हैं, मेरी बहना।। गुलाब की पंखुड़ियों से भी नाजुक हैं मेरी बहना।। आसमान से उतरी कोई राजकुमारी हैं।। कहूँ तो मेरी आँखों की राजदुलारी हैं बहना।
भाई-बहन की लड़ाई में तब तक मजा नहीं आता। जब तक बहन अपने उधार दिए हुए पैसे वापस ना मांग ले।