क्या आप जानते हैं कि Christmas क्यों बनाया जाता हैं एवं प्रभु ईसा मसीह की जन्मगाथा क्या हैं यदि नहीं जानते तो आप एक दम सही पेज पर आए हैं इस पेज पर आपको Christmas से संबंधित समस्त जानकारी आसान भाषा में मिल जाएगी जो आपको जरूर पसंद आएगी।
Christmas का पर्व समस्त ईसाई धर्म के लोग बड़ी ही धूमधाम से सेलिब्रिटी करते हैं क्योंकि इस दिन उनके प्रभु यीशु का जन्म हुआ था इस दिन सम्पूर्ण विश्व में अवकाश रहता हैं इसलिए सभी इस दिन को बड़े प्यार से सेलिब्रेट करते हैं।
तो चलिए इस आर्टिकल में Christmas क्या हैं, Christmas क्यों बनाया जाता हैं, प्रभु यीशु की जन्मगाथा क्या हैं, Christmas के पेड़ की कहानी क्या हैं, एवं सांता क्लॉज की कहानी क्या हैं समस्त जानकारी बिल्कुल सरल भाषा में पढ़ते हैं।
Christmas क्या हैं
क्रिसमस का त्यौहार यीशु या ईसा मसीह के जन्मदिन की खुशी में मनाया जाता हैं प्रभु यीशु को ईसाई धर्म में ईश्वर का पुत्र माना जाता हैं क्रिसमस का त्यौहार 25 दिसम्बर को बनाया जाता हैं इसे “क्रिसमस इव” भी कहा जाता हैं।
25 दिसम्बर को ईसाई धर्म के लोग अपने घरों एवं चर्च को साफ करते हैं एवं नए कपड़े पहनते हैं और चर्च को बड़े ही प्यार से सजाते हैं और जश्न बनाते हैं चर्च में प्रभु ईसा मसीह से प्राथना करते हैं।
इस दिन क्रिश्चियन समुदाय के लोग क्रिसमस ट्री के पास इकट्ठा होकर उसमें रंग बिरंगी रोशनियां, बंडा, खिलौने, टॉफी, गिफ्ट आदि के द्वारा सजाते हैं क्रिसमस के दिन ईसाई धर्म के लोग एक दूसरे को मिठाइयां एवं गिफ्ट के साथ क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं विशेष के साथ दीजिए।
क्रिसमस के दिन प्रत्येक क्रिश्चियन परिवार में केक काटा जाता हैं माता-पिता अपने बच्चों को उपहार देते हैं लोग अपने घरों को रंगीन लाइट एवं क्रिसमस ट्री से सजाते हैं क्रिसमस का यह पावन पर्व प्यार और शान्ति का त्यौहार हैं।
Christmas क्यों बनाया जाता हैं
Christmas का पर्व प्रभु यीशु या ईसा मसीह के जन्मदिन पर समस्त ईसाई धर्म के लोग बड़ी ही धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं क्रिसमस का त्यौहार 25 दिसम्बर को मनाया जाता हैं जिसे साल का सबसे बड़ा दिन कहते हैं।
एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर ईसा मसीह का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था इसलिए शुरुआत में यीशु के जन्मदिन को लेकर ईसाई धर्म के लोगों में बड़ा ही मतभेद था क्योंकि ईसा मसीह के जन्मदिन की कोई तारीख ज्ञात नहीं थी क्योंकि 25 दिसम्बर को यीशु का जन्म नहीं हुआ था
लेकिन 360 ईस्वी के आस-पास रोम के एक चर्च में यीशु के जन्मदिन को सेलिब्रेट किया गया ईसाई धर्म के लोगों में बाद तक क्रिसमस मनाने की तारीख को लेकर मतभेद रहा लम्बी बहस और सबके विचार-विमर्श के बाद चौथी शताब्दी में 25 दिसम्बर को ईसा मसीह का जन्मदिन घोषित किया गया लेकिन इसके बाद भी इसे प्रचलन में लाने में काफी समय लगा।
1836 में अमेरिका में क्रिसमस को कानूनी मान्यता मिली और 25 दिसम्बर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया तब से लेकर आज तक 25 दिसम्बर को सभी ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं क्रिसमस के दिन एक-दूसरे को उपहार देते हैं इस दिन चर्च में जश्न बनाया जाता हैं क्रिसमस ट्री को खिलौने और ढेर सारी लाइट के साथ सजाया जाता हैं।
क्रिसमस से जुड़ी एक लोकप्रिय पौराणिकता के आधार पर सांता क्लॉथ को यीशु का पिता भी कहा जाता हैं सांता क्लॉज क्रिसमस पर बच्चों के लिए तोहफे लाने के नाम से जाने जाते हैं सांता क्लॉथ को बच्चों को तोहफ़ा देना बहुत
प्रभु यीशु की जन्म गाथा क्या हैं
बहुत समय पहले की बात हैं इजरायल देश के नाजरेथ नामक एक छोटे से गाँव में मरियम/मैरी (Mary) नाम की एक जवान कुमारी महिला रहती थी वह बहुत मेहनत का काम करती थी और दूसरों की हमेशा मदद ही करती थीं वह यहूदी बढ़ई यूसुफ नामक एक युवक से प्यार करती थी वह भी एक बहुत अच्छा युवक था।
एक रात ईश्वर ने गेब्रियल नाम की परी को एक सन्देश के साथ मैरी के पास भेजा मैरी के सपने में गेब्रियल नाम की एक परी आयी और परी ने कहा – मैरी ईश्वर आपसे बहुत प्रसन्न हैं आपको वरदान देना चाहते हैं इसलिए ईश्वर ने मुझे अपना संदेश देने के लिए भेजा हैं।
ईश्वर ने कहाँ हैं कि आप जल्द गर्भवती हो जाएगी और एक सुन्दर बालक को जन्म दोगी ईश्वर लोगों की सहायता के लिए धरती पर एक पवित्र आत्मा भेज रहे हैं जो आपके पुत्र के रूम में धरती पर जन्म लेगीं उसको आप यीशु नाम प्रधान करना क्योंकि वह ईश्वर का पुत्र होगा मैरी कहाँ यह कैसे सम्भव हैं मैं एक कुमारी कन्या हूँ मैं कैसे गर्व धारण कर सकती हूँ तब परी ने कहाँ की आप चमत्कारिक रूप से गर्भवती हो जाओगी।
गेब्रियल परी ने मैरी से कहा कि आप अपने चचेरे भाई एलिजाबेथ और उनकी पत्नी Zachariah के साथ उनके घर में रहने चली जाओ आपके चचेरे भाई-भाभी जिनके कोई बच्चे नहीं थे वो भी जल्द ही एक जॉन बैपटिस्ट नामक एक बच्चे को जन्म देंगे तो यीशु के जन्म के लिए रास्ता तैयार करेगा।
सपने में गेब्रियल परी को देखकर मैरी डर गई लेकिन मैरी ईश्वर पर विश्वास करती थी उसे भरोसा था कि ईश्वर उसके साथ सब ठीक करेंगे मैरी ने गेब्रियल परी के बताए अनुसार अपने चचेरे भाई एलिजाबेथ के घर उनसे मिलने गयी वहीं पर ईश्वर के वरदान से गर्भवती हो गयी 3 महीने एलिजाबेथ के साथ रहने के बाद मैरी वापिस अपने शहर नाजरेथ लौट आयी।
मैरी अविवाहित थीं और ईश्वर के वरदान से गर्भवती थी इसलिए यूसुफ मैरी को लेकर काफी चिंतित रहते था लेकिन ईश्वर ने यूसुफ के सपने में एक स्वर्गदूत को भेजा उसने यूसुफ को बताया कि मैरी ईश्वर के पुत्र को जन्म देने वाली हैं जो ईश्वर का पुत्र कहलाएगा इसलिए आप मैरी से विवाह करके उसे अपनी धर्म पत्नी के रूप में स्वीकार कीजिए।
यूसुफ सपने से जगा और दूसरे ही दिन यूसुफ और मैरी ने एक दूसरे से विवाह कर लिया जब मरियम को यीशु पैदा होने वाला था तभी यूसुफ और मरियम को आवश्यक कार्य आ जाने के कारण बेतलेहेम जाना पड़ा जो नजरेथ से दूर था मरियम को बच्चा होने वाला था इसलिए यूसुफ और मैरी ने धीमी गति से यात्रा की और बेथलेहम पहुँच गए वहां उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी क्योंकि सभी सराय और आवास अन्य लोगों के द्वारा कब्जा कर लिए गए थे।
यूसुफ और मरियम ने गायों, बकरियों और घोड़ों के रहने के स्थान पर जहाँ सिर्फ जानवरों का बसेरा था वहाँ शरण ली उसी रात प्रभु यीशु का जन्म हुआ यूसुफ ने अपने पहने हुए कपड़े में यीशु को लपेट कर जहाँ जानवरों का बसेरा था उसी मंदिर में रखा दिया था।
जंगल के पास जहाँ यीशु पैदा हुए थे वहीं पास में चरवाह अपनी भेड़-बकरियां को चढ़ाने आए तो उनको एक परी और स्वर्गदूत दिखाई दिए स्वर्गदूत ने बताया कि उनका उद्धारकर्ता आज बेथहल मैं पैदा हुआ हैं लेकिन चरवाहों को स्वर्गदूत की बात पर यकीन नहीं हुआ लेकिन जब उन्होंने स्वयं जाकर यूसुफ, मरियम और उनके बच्चे यीशु को देखा तो आश्चर्यचकित हो गए और बहुत खुश हुए।
यीशु के जन्म के समय आसमान में एक उज्जवल नया सितारा दिखाई दिया था तीन बुद्धिमान पुरुष उसी उज्जवल सितारे का पीछा करते-करते यीशु के जन्म स्थान पर आ गए और यीशु के परिवार वालो को उपहार दिए और ईश्वर के पुत्र के रूप में प्रभु यीशु की पूजा की।
वो तीनों बुद्धिमान पुरूष जानते थे कि यह एक महान राजा का संकेत हैं लेकिन उन्होंने यह बात किसी को नहीं बताई जब राजा हरोदेश को पता चला कि बुद्धिमान लोग महान नए राजा की तलाश में हैं जो मेरे स्थान को ले लेगा तब राजा हरोदेश ने बेथहलम के सभी शिशु बच्चों को मारने की योजना बनाता हैं लेकिन वो यीशु तक पहुँचने में असफल रहा।
यूसुफ को सपने में देवदूत ने चेतावनी दी थी कि राजा हरोदेश यीशु को मारने के लिए उसकी खोज करेगा इसलिए अगर वो मिस्त्र चला जाए तो सुरक्षित रहेगा मिश्र वही जगह हैं जहाँ वो दुष्ट राजा की मृत्यु तक रहा हरोदेश कि मृत्यु के बाद यीशु और मरियम ने मिस्त्र छोड़ दिया और इजराइल की यात्रा करके अपना बाकि जीवन नाजरेथ में बिताया।
ईसा मसीह जब बड़े हुए तो उन्होंने छोटी-छोटी गलियों में घूम−घूम कर धर्म के नए उपदेश दिए और लोगों की हर बीमारी और दुर्बलताओं को दूर करने के प्रयास किए।
धीरे−धीरे उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैलती गई। यीशु के सद्भावनापूर्ण कार्यों के कुछ दुश्मन भी थे जिन्होंने अंत में ईसा मसीह को काफी कष्ट दिए और उन्हें क्रूस पर लटकाकर मार डाला।
लेकिन ईसा मसीह जीवन पर्यन्त मानव कल्याण की दिशा में जुटे रहे, यही नहीं जब उन्हें कू्रस पर लटकाया जा रहा था, तब भी वह यही बोले कि ‘हे पिता इन लोगों को क्षमा कर दीजिए क्योंकि यह लोग अज्ञानी हैं।’ उसके बाद से ही ईसाई धर्म के लोग 25 दिसम्बर यानि यीशु के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाते हैं।
यह रही प्रभु यीशु के जन्मगाथा जो आपको जरूर पसंद आयी होंगी।
Christmas के पेड़ की कहानी क्या हैं
आपने हमेशा अपने घर में क्रिसमस के त्यौहार पर क्रिसमस ट्री को सजाते हुए देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी सोचा या आपके मन में विचार आया कि क्रिसमस ट्री क्यों सजाते हैं उसके पीछे क्या वजह हैं क्रिसमस ट्री की कहानी क्या हैं तो आज हम इसी विषय पर बात करने आए हैं और आपको क्रिसमस ट्री की एक कहानी बताने जा रहे हैं।
क्रिसमस ट्री की कहानी पढ़ने से पहले क्रिसमस ट्री की शुरूआत कब और कहाँ से हुई एवं इसे कैसे सजाया जाता हैं उसके बारे में जान लेते हैं।
क्रिसमस ट्री को सजाने की प्रथा सबसे पहले जर्मनी से शुरू हुई इसके बाद 19 वीं शताब्दी में यह पंरपरा इंग्लैंड में हुई और इंग्लैंड यह रिवाज पूरे विश्व में फैल गया हैं।
क्रिसमस ट्री को सदाबहार के पड़े के नाम से जाना जाता हैं यह एक ऐसा पेड़ हैं जो कभी नहीं मुरझाता और बर्फ में भी हमेशा हरा-भरा रहता हैं क्रिसमस ट्री को खिलौने एवं लाइट के साथ सजाया जाता हैं क्रिसमस ट्री में खाने की चीजें भी रखी जाती हैं जैसे सोने के वर्क में लिपटे सेव, जिंजर ब्रेड टॉफी आदि।
तो चलिए अब क्रिसमस ट्री की कहानी पढ़ना शुरू करते हैं।
माना जाता हैं कि सदाबहार पेड़ का संबंध प्रभु यीशु के जन्म से हैं जब प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ तो जानवरों एवं पशु पक्षियों ने उन्हें प्रणाम किया और उसी समय जंगल के सभी पेड़ सदाबहार हरी पत्तियों में बदल गए इसलिए संत बोनिफेस ने तब से क्रिसमस ट्री को ईसाई धर्म का प्रतीक बनाया था।
सांता क्लॉज की कहानी क्या हैं
सांता क्लॉज को प्रत्येक बच्चे-जबान-बुजुर्ग सभी जानते हैं क्रिसमस के दिन खासकर बच्चों को सांता क्लॉज का इंतजार रहता हैं।
ईसा मसीह की मृत्यु के बाद करीब 280 साल बाद तीसरी सदी में सांता क्लॉज का जन्म मायरा में हुआ था इनके बचपन में ही माँ-बाप की मृत्यु हो गई इसके बाद सांता क्लॉज को सिर्फ भगवान ईसा मसीह पर भरोशा था बड़े होने के बाद सांता क्लॉज ने अपना जीवन भगवान ईसा मसीह को अर्पण कर दिया।
सांता क्लॉज एक पादरी बने फिर बिशप बने उन्हें लोगों की मदद करना काफी पसंद था वह गरीब बच्चों और लोगों को रात के अंधकार में गिफ्ट देते थे उन्हें देना बहुत पसंद वो रात के अंधकार में गिफ्ट इसलिए देते थे जिससे उन्हें कोई देख ना पाए इसलिए आज भी बच्चों को सांता क्लॉज का इंतजार रहता हैं इसलिए क्रिसमस के दिन बच्चों को गिफ्ट देते हैं।
यह थी सांता क्लॉज की कहानी जो आपको जरूर पसंद आई होंगी।
जरूर पढ़िए : अपने दिन की अच्छी शुरुआत कैसे करें?
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